उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार के आठ वर्ष पूरे होने पर यह अवसर न केवल एक राजनीतिक उपलब्धि का प्रतीक है, बल्कि राज्य के विकास, कानून व्यवस्था और सामाजिक बदलाव के एक नए अध्याय का भी साक्षी है। 19 मार्च, 2017 को योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में सत्ता संभाली थी, और तब से लेकर आज, मार्च 2025 तक, इन आठ वर्षों में राज्य ने कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति देखी है। यह लेख उन प्रमुख उपलब्धियों और चुनौतियों पर प्रकाश डालता है, जो इस अवधि में सामने आईं।
कानून और व्यवस्था में सुधार
योगी सरकार ने अपने कार्यकाल की शुरुआत से ही कानून व्यवस्था को अपनी प्राथमिकता बनाया। “अपराधियों के लिए उत्तर प्रदेश में कोई जगह नहीं” – यह नारा सरकार की नीति का आधार बना। बीजेपी सरकार का दावा है कि इन आठ वर्षों में संगठित अपराध, माफिया राज और गुंडागर्दी पर कड़ा प्रहार किया गया। मुठभेड़ों और सख्त कार्रवाइयों के जरिए अपराधियों में भय पैदा करने की कोशिश की गई। सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 2017 से अब तक सैकड़ों कुख्यात अपराधी या तो जेल में हैं या मुठभेड़ में मारे गए हैं। हालांकि, विपक्ष इसे “फर्जी मुठभेड़” कहकर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाता रहा है। फिर भी, आम जनता के बीच यह धारणा बनी कि सड़कों पर पहले की तुलना में सुरक्षा बढ़ी है।
इन आठ वर्षों में उत्तर प्रदेश ने बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में भी लंबी छलांग लगाई है। एक्सप्रेसवे का जाल बिछाने से लेकर मेट्रो परियोजनाओं तक, राज्य में कनेक्टिविटी में सुधार हुआ है। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और गंगा एक्सप्रेसवे जैसे प्रोजेक्ट्स ने न केवल यात्रा को आसान बनाया, बल्कि औद्योगिक विकास को भी बढ़ावा दिया। लखनऊ, वाराणसी और नोएडा जैसे शहरों में मेट्रो सेवाओं का विस्तार हुआ। साथ ही, जेवर में बन रहा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा उत्तर प्रदेश को वैश्विक पटल पर लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सरकार का दावा है कि ये प्रयास राज्य को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य की ओर ले जा रहे हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जनन
बीजेपी सरकार के कार्यकाल में धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने पर विशेष जोर रहा। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसने न केवल धार्मिक भावनाओं को संबल दिया, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा दिया। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और प्रयागराज में कुंभ मेले के भव्य आयोजन ने भी राज्य की सांस्कृतिक विरासत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। योगी सरकार ने इन परियोजनाओं को “सांस्कृतिक पुनर्जागरण” का नाम दिया, जिसे उनके समर्थक एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानते हैं।
सामाजिक कल्याण और योजनाएं
सरकार ने विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के जरिए समाज के हर वर्ग तक पहुंचने का प्रयास किया। “सबका साथ, सबका विकास” के नारे को साकार करते हुए, गरीबों के लिए मुफ्त राशन, उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन, और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर उपलब्ध कराए गए। आंकड़ों के मुताबिक, इन आठ वर्षों में लाखों परिवारों को इन योजनाओं का लाभ मिला। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सुधार हुए, जैसे मेडिकल कॉलेजों की संख्या में वृद्धि और आयुष्मान भारत योजना का विस्तार। हालांकि, इन योजनाओं के लाभ का समान वितरण और उनकी गुणवत्ता पर सवाल उठते रहे हैं।
चुनौतियां और आलोचनाएं
इन उपलब्धियों के बावजूद, सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। बेरोजगारी और गरीबी अभी भी राज्य की बड़ी समस्याएं हैं। विपक्ष का आरोप है कि विकास का लाभ केवल कुछ क्षेत्रों तक सीमित रहा, जबकि ग्रामीण इलाकों में स्थिति जस की तस बनी हुई है। आवारा पशुओं की समस्या ने किसानों को परेशान किया, और गोशालाओं के निर्माण के बावजूद यह मुद्दा पूरी तरह हल नहीं हुआ। इसके अलावा, महिला सुरक्षा और शिक्षा के क्षेत्र में अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश बीजेपी सरकार के आठ वर्ष एक मिश्रित अनुभव रहे हैं। जहां एक ओर कानून व्यवस्था, बुनियादी ढांचा और सांस्कृतिक पुनर्जनन में प्रगति हुई, वहीं बेरोजगारी, गरीबी और सामाजिक असमानता जैसे मुद्दों ने सरकार के सामने चुनौतियां खड़ी कीं। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी ने राज्य को एक नई दिशा देने की कोशिश की है, और इन प्रयासों का असली मूल्यांकन आने वाले समय में जनता के जीवन स्तर में सुधार से ही होगा। यह आठ साल निश्चित रूप से “उत्तम प्रदेश” की ओर बढ़ते कदमों का प्रतीक है, लेकिन मंजिल अभी दूर है।