सबसे प्राचीन और महान ग्रंथों में से एक महाभारत की कहानी के बारे में तो हम सभी जानते हैं। महाभारत पर कई शो भी बन चुके हैं। लेकिन क्या आपके मन में कभी महाभारत से जुड़ी जगहों पर घूमने की इच्छा हुई है। हालांकि इतिहास प्रेमियों को ऐसी जगहों पर जाना काफी अच्छा लगता है। हरियाणा की ऐसी जगह जो महाभारत काल से जुड़ी हुई है। ऐसे में अगर आप भी महाभारत की कहानी को करीब से जानना और समझना चाहते हैं, तो आपको हरियाणा की कुछ खास जगहों पर घूमने का प्लान बनाना चाहिए। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको हरियाणा की उन प्रमुख जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो महाभारत काल से जुड़ी हैं।
कुरुक्षेत्र
महाभारत के बारे में अधिक जानकारी की इच्छा रखने वाले लोगों को हरियाणा के कुरुक्षेत्र जाना चाहिए। यह महाभारत काल के समय का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। क्योंकि इसी स्थान पर कौरवों और पांडवों का युद्ध हुआ था। इस युद्ध में मरने वालों की संख्या इतनी अधिक थी कि लोगों के खून की वजह से आज भी कुरुक्षेत्र की मिट्टी लाल है। यहां पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। कुरुक्षेत्र में आपको श्रीकृष्ण से जुड़ी चीजें देखने को मिलेंगी। इसके अलावा आप यहां पर श्याम कुंड, ब्रह्मसरोवर, कपिल मुनि आश्रम, भीमकुंड और भगवान कृष्ण संग्रहालय जरूर देखें।
पानीपत
पानीपत का संबंध भी महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि पांडवों द्वारा इस शहर की स्थापना की गई थी। वैसे को भारतीय इतिहास में भी पानीपत तीन प्रमुख लड़ाइयों के लिए जाना जाता है। ऐसे में आप भी यहां घूमने के लिए आ सकते हैं। पानीपत आने के दौरान आपको पांडव किला यानी की पुराना किला जरूर जाना चाहिए। इस किले की बनावट और वास्तुकला देखकर आपको महाभारत काल का अंदाजा हो जाएगा।
पलवल का पचोवन मंदिर
बता दें कि वनवास के दौरान पांडव पलवल के पचोवन मंदिर तक इंद्रप्रस्थ से चलकर आए थे। इस दौरान यहां पर उन्होंने एक साल वनवास काटा था। इसलिए इस मंदिर को पाचोवन मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां पर स्थित हनुमान जी की मूर्ति को पांडवों ने स्थापित किया था और पूजा-अर्चना की थी। यह हरियाणा के फेमस मंदिरों में से एक है।
हरियाणा का पुराना नाम
हरियाणा का पुराना नाम हरियाणक, ब्रह्मवर्त, आर्यवर्त, और ब्रह्मोपदेश था। हरियाणा के नाम की उत्पत्ति के बारे में कई व्याख्याएं हैं।
हरियाणा के पुराने नामों की व्याख्या:
हरियाणा को प्राचीन समय में ब्रह्मवर्त, आर्यवर्त, और ब्रह्मोपदेश के नाम से जाना जाता था। ये नाम हरियाणा की भूमि पर ब्रह्मा-देवता के उद्भव पर आधारित हैं।
रोहतक ज़िले के बोहर गांव में मिले शिलालेख के मुताबिक, इस क्षेत्र को हरियाणक के नाम से जाना जाता था। यह शिलालेख 1337 विक्रम संवत के दौरान बलबन के शासनकाल से जुड़ा है।
सुल्तान मोहम्मद-बिन-तुगलक के शासनकाल में मिले एक पत्थर पर ‘हरियाणा’ शब्द अंकित है।
धरणीधर ने अपनी रचना ‘अखंड प्रकाश’ में कहा है कि ‘यह शब्द ‘हरिबंका’ से आया है, जो हरि, भगवान इंद्र की पूजा से जुड़ा है’।
गिरीश चंद्र अवस्थी का मानना है कि इसकी उत्पत्ति ऋग्वेद से हुई है।
प्राण नाथ चोपड़ा के मुताबिक हरियाणा का नाम अभिरायण-अहिरायण-हिरायणा-हरियाणा से लिया गया है।
महाभारत काल से ही हरियाणा को भरपूर अनाज (बहुधान्यक) और विशाल धन (बहुधना) की भूमि के रूप में जाना जाता है।