फिरोजाबाद उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश पुलिस एक बार फिर अपनी कार्यशैली को लेकर सुर्खियों में है। इस बार फिरोजाबाद से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां एक सब-इंस्पेक्टर ने 24 साल पुराने चोरी के मामले में असली आरोपी की जगह जज को ही आरोपी मान लिया। इस गलती के बाद संबंधित सब-इंस्पेक्टर बनवारीलाल को लाइन हाजिर कर दिया गया है, और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू हो गई है।
चोर के बजाय जज की तलाश
मामला तब सामने आया जब कोर्ट के आदेश पर चोरी के संदिग्ध राजकुमार को पेश करने के लिए सब-इंस्पेक्टर बनवारीलाल को गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी किया गया। लेकिन बनवारीलाल ने नोटिस में गलती से आरोपी का नाम राजकुमार की जगह मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नगमा खान लिख दिया। इसके बाद उन्होंने जज के पते पर ही तलाश शुरू कर दी और कोर्ट को बताया कि “नगमा खान नाम की आरोपी अपने घर पर नहीं मिली।”
जज ने लगाई कड़ी फटकार
मजिस्ट्रेट नगमा खान ने इस लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाया। 24 मार्च को दिए आदेश में उन्होंने कहा, “यह अजीब है कि पुलिस अधिकारी को इस बात की बिल्कुल जानकारी नहीं थी कि कोर्ट ने क्या आदेश दिया, किसने दिया, और किसके खिलाफ दिया।” उन्होंने आगे कहा कि सब-इंस्पेक्टर ने बिना दस्तावेज पढ़े लापरवाही से उद्घोषणा को गैर-जमानती वारंट के रूप में लिया और पीठासीन अधिकारी का नाम ही लिख दिया। मजिस्ट्रेट ने इसे पुलिस अधिकारी की गंभीर लापरवाही और कर्तव्य के प्रति अज्ञानता करार दिया।
विभागीय जांच शुरू
इस घटना के बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) ने सब-इंस्पेक्टर बनवारीलाल को तत्काल लाइन हाजिर कर दिया। साथ ही, इस गलती की गहराई से जांच के लिए विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है। यह मामला पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है और सोशल मीडिया पर भी खासा चर्चा में है।
यह घटना कानपुर के उस मामले की याद दिलाती है, जहां पुलिस ने मेमने के असली मालिक का पता लगाने के लिए अनोखा तरीका अपनाया था। लेकिन फिरोजाबाद का यह वाकया पुलिस की लापरवाही का एक और उदाहरण बन गया है।