दुनिया की वो इकलौती नदी जिसकी परिक्रमा करते हैं लोग
नर्मदा नदी देश की उन नदियों में से एक है जो उल्टी दिशा में बहती है. यह नदी पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है. ये दुनिया की इकलौती नदी है, जिसकी लोग परिक्रमा करते हैं. नर्मदा नदी को जीवनदायिनी माना जाता है.
भारत में छोटी बड़ी मिलाकर 200 से ज्यादा नदियां है. सनातन धर्म में लोग नदियों को देवी मानकर पूजते है. ऐसा कहा जाता है कि नदियों में स्नान करने से सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है. हालांकि क्या आप जानते हैं देश में ऐसी नदी है, जिसकी लोग परिक्रमा करते हैं. ये नदी कोई और नहीं बल्कि नर्मदा है. नर्मदा दुनिया की एकमात्र नदी है जिसकी लोग परिक्रमा करते हैं. श्रद्धालु नदी की नर्मदे हर कहते हुए परिक्रमा करते हैं.
नर्मदा नदी को जीवनदायिनी माना जाता है. इस नदी का उद्गम मध्य प्रदेश से हुआ है. मध्यप्रदेश से शुरू होकर और बंगाल की खाड़ी में इसके मिलने तक नर्मदा पूरे रास्ते में जहां से गुजरी वहां जीवन बसा दिया. मां नर्मदा के तट पर परिक्रमा वासियों को बहुत श्रद्धाभाव से देखा जाता है. लोग परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए पूरे रास्ते रुकने और खानपान की व्यवस्था करते हैं.
कहां से शुरू होती है यात्रा?
नर्मदा परिक्रमा मध्य प्रदेश के अमरकंटक से शुरू होकर गुजरात के खंभात की खाड़ी में मिलने से पहले नर्मदा नदी के चारों ओर की 1,320 किलोमीटर की पैदल यात्रा है. नर्मदा परिक्रमा के तहत श्रद्धालु नर्मदा के उद्गम, ओंकारेश्वर या किसी भी घाट से यात्रा शुरू कर उसी स्थल पर आकर अपनी परिक्रमा पूरी करते हैं. नर्मदा परिक्रमा वासियों के लिए अनेक स्थानों पर पर लोग भोजन और खाद्य सामग्री प्रदान करते हैं. नर्मदा परिक्रमा की शुरुआत देवउठनी एकादशी के बाद की पूर्णिमा से होती है.
व्यक्ति के पापों का नाश
पुराणों के मुताबिक, नर्मदा परिक्रमा करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और मोक्ष मिलता है. पैदल परिक्रमा करने वाले भी दिन भर चलने के बाद शाम को डेरा डाल कर मां नर्मदा की आरती और भजन में लीन हो जाते हैं.नर्मदा नदी देश की उन नदियों में से एक है जो उल्टी दिशा में बहती है. यह नदी पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है, जबकि ज्यादातर नदियां पश्चिम से पूर्व की ओर बहती हैं.